मेरा अपना तजुर्बा है वही बतला रहा हूँ मैं
कोई लभ छू गया था तब कि अब तक गा रहा हूँ मैं
फिर आके प्यार मैं कैसे जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं
कसी पत्थर मैं मूरत है कोई पत्थर कि मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी खूबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी ज़जूरत है मुझे तेरी ज़रुरत है
कोई कब तक मेहेज सोचे कोई कब तक मेहेज गाये
इलाही क्या यह मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए
मेरा महताब उसकी रात के आहोश मैं पिघले
मैं उसकी नींद मैं जागु वोह मुझे मैं घुल के सो जाये
कोई मनजिल नहीं जचती सफ़र अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊं तोह घर अच्छा नहीं लगता
कहूँ कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता
कोई लभ छू गया था तब कि अब तक गा रहा हूँ मैं
फिर आके प्यार मैं कैसे जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं
कसी पत्थर मैं मूरत है कोई पत्थर कि मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी खूबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी ज़जूरत है मुझे तेरी ज़रुरत है
कोई कब तक मेहेज सोचे कोई कब तक मेहेज गाये
इलाही क्या यह मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए
मेरा महताब उसकी रात के आहोश मैं पिघले
मैं उसकी नींद मैं जागु वोह मुझे मैं घुल के सो जाये
कोई मनजिल नहीं जचती सफ़र अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊं तोह घर अच्छा नहीं लगता
कहूँ कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता
wow so nice lines....
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