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Showing posts from May, 2017

Madhushala Part 2- Harivansh Rai Bacchan

बड़े बड़े परिवार मिटें यों, एक न हो रोनेवाला, हो जाएँ सुनसान महल वे, जहाँ थिरकतीं सुरबाला, राज्य उलट जाएँ, भूपों की भाग्य सुलक्ष्मी सो जाए, जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी मधुशाला।।२१। सब मिट जाएँ, बना रहेगा सुन्दर साकी, यम काला, सूखें सब रस, बने रहेंगे, किन्तु, हलाहल औ' हाला, धूमधाम औ' चहल पहल के स्थान सभी सुनसान बनें, जगा करेगा अविरत मरघट, जगा करेगी मधुशाला।।२२। बुरा सदा कहलायेगा जग में बाँका, चंचल प्याला, छैल छबीला, रसिया साकी, अलबेला पीनेवाला, पटे कहाँ से, मधुशाला औ' जग की जोड़ी ठीक नहीं, जग जर्जर प्रतिदन, प्रतिक्षण, पर नित्य नवेली मधुशाला।।२३। बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला, पी लेने पर तो उसके मुँह पर पड़ जाएगा ताला, दास द्रोहियों दोनों में है जीत सुरा की, प्याले की, विश्वविजयिनी बनकर जग में आई मेरी मधुशाला।।२४। हरा भरा रहता मदिरालय, जग पर पड़ जाए पाला, वहाँ मुहर्रम का तम छाए, यहाँ होलिका की ज्वाला, स्वर्ग लोक से सीधी उतरी वसुधा पर, दुख क्या जाने, पढ़े मर्सिया दुनिया सारी, ईद मनाती मधुशाला।।२५। ...